Tuesday, October 28, 2014

Passing the Parcel

कल महिला क्लब में प्रोग्राम था उस में तरह-तरह के खेलों का भी आयोजन थाl उसमें सबसे रोचक खेल था ,Passing the parcel l संगीत के साथ एक बंद पैकिट सबके हाथों से गुजर रहा था और जिस के पास रुकता उस महिला को उसमें लिखा कार्य करना पड़ता l मैं भी खेल रही थी और साथ-साथ सबकी प्रतिक्रिया भी देख रही थी कि महिलाएं किस तरह पैकिट को आगे बढ़ा रही थींl कोई झटके के साथ तो कोई उछालते हुए आगे बढ़ा देती ,पर किसी पर तो रुकता और फिर संगीत के साथ आगे बढ़ जाता l सबने खूब आनंद लेकर खेला l 

आज मैं बैठी- बैठी यह सोच रही थी कि इस खेल को तो हर व्यक्ति रोज खेल रहा हैl आप सोचेगे कैसे? इस संदर्भ में एक वाकया बता रही हूँ , कुछ दिनों पहले मेरे यहाँ मेरी चचेरी नन्द आईं l वह सबके लिए कुछ न कुछ लाई मेेरे लिए भी एक सुंदर साड़ी लाई जिसे देखकर मैं बहुत खुश हुईl मैंने उन्हें धन्यवाद दिया l उनके जाने के बाद मैंने अपनी बेटी से कहा कि साड़ी को अलमारी में रखदो l उसको देखते ही बेटी बोली , मम्मी ये तो अापने जूही चाची को उनके जन्मदिन पर दी थीl तब मैंने ध्यान से देखा तो लगा कि बेटी ठीक बोल रही हैl ये था एक उदाहरण l साड़ी ही नहीं हमलोग बहुत से सामान जो तोहफे में मिलते हैं उसका प्रयोग इस तरह करते हैं, वैसे इसमें कोई बुराई नहीं है क्योंकि हम ऐसा इसलिए करते हैं जब हमें लगता है कि हम उस को प्रयोग में नहीं लाएगे और इस तरह उसका सुदुपयोग करते हैंl साधारण व्यक्ति ही नहीं , अच्छे समर्थ लोग भी करते हैं यहाँ तक की आजकल बच्चे भी जन्मदिन के gifts खोलते वक्त जो उनके पास है या उन्हें पसन्द नहीं आया तो यह कह कर मम्मी के पास रखवा देते हैं कि मम्मी अगले महिने मेरे दोस्त के जन्मदिन पर उसे दे देगे, पर मम्मी आप इसके बदले में मुझे मेरे पसन्द का एक gift दिला देना l 

कभी -कभी तो हमलोग उपहार खोलते भी नहीं हैं केवल बाहर से ही अंदाज लगा कर दूसरे को उपहार के रूप दे देते हैं l इस संदर्भ में भी एक बड़ा दिलचस्प वाकया है,मैं अपनी सहेली के यहाँ बैठी थी तब ही उसके पास उसकी नन्द का दुबई से फोन आया वह पूछ रही थीं कि उनके द्वारा भेजा gift ( कान के सोने के झुमके ) उन्हें कैसा लगा, उस समय तो उसने यह कह कर कि बहुत अच्छा लगा फोन काट दिया पर बाद में उसने मुझे बताया कि उसने बिना देखे ही वह gift किसी को दे दिया और अब पछता रही है कि जिस को वह दिया था वह उसके लायक नहीं थी़ पर अब क्या करे जब चिड़िया चुग गई खेत l ऐसा भी होता है कभी-कभी l ऐसा भारत में ही नहीं विदेशों में भी होता है इसमें अमेरिका एक हाथ आगे ही हैl अभी कुछ दिनों पहले मेरी मामी जी अमेरिका से आईंथीं उन्होनें बताया कि इस तरह gift के सामान वहाँ गैरेज़ सेल में लोग दूसरों को बेच देते हैं l वहाँ गैरेज़ सेल का बहुत प्रचलन है ,लोग अपने पुराने सामान को अपने गैरेज़ में सजा कर दूसरों को रियात दामों में बेच देते हैं और साथ में एेसे उपहारों को भी आगे बढ़ा देते हैं l

यहाँ मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि यह सब हमलोग किसी भावना के तहत करते है जिससे अपने को एक संतोष मिलता है,लेकिन ये 'भावना' शब्द के भी कई रूप हैंl कोई मन से तो कोई दिखावे से या कोई सम्बन्धों के दबाओ में करते हैं l यहाँ मैं यह स्पष्ट करना चाहूँगी कि ये हमेशा नहीं पर आमतौर पर हमलोग करते हैंl जिसका अंजाम मेरे जैसा किसी का भी हो सकता हैं,कि कब अपनी ही gift कई पड़ाव पार करते हुए वापस अपने पास आ जाए और एक बार फिर से दूसरी पारी के लिए तैयार हो जाए l

यहाँ एक सोच मेरी और  जागृत हुई कि उस वस्तु विशेष पर क्या गुजरती है जो तरस रही है कि कोई उसका इस्तेमाल करेl कभी- कभी महिनों और सालों लग जाते हैं उस हाथ तक पहुँचने में जहाँ उसका इस्तेमाल हो पाता है l मेरा यहाँ यही मानना है कि उपहार एक स्नेह सूचक है तो उसका चयन करते वक्त यह ध्यान रखना चाहिए कि सामने वाले के लिए कितना उपयुक्त हैl कम मूल्य की छोटी चीज भी कभी-कभी बहुत उपयोगी होती हैl भावनाओं में बहकर उपहारों का चयन न करके अगर समय  और उपयोगिता का ध्यान रखते हुए करें तो मुझे पूरी उम्मीद है कि हमलोग  इस Passing the Parcel खेल से बच जाएंगे, जो हम व्यवाहारिक जीवन में खेल रहे हैं l इस खेल को मनोरंजन के लिए ही खेलें और जीवन में खुश रहें l

So start the game ' Passing the parcel' for fun only and enjoy your life.

Wednesday, October 15, 2014

Tension

एलार्म बजा घड़ी का, धम्म से हुई आवाज़ , लगा भूकंप आया, पर न, यह तो पत्नी का पैर धरती  पर आया l
तुरन्त हलचल,हुई कमरे में, बड़बड़ की थी आवाज़ l
मैंने बड़े ही नम्र भाव से पूछा , प्रिय क्या हुई है बात l
बोली! तुम्हें क्या पता ? मुझे चैन नही आ रहा ,
सुबह से ही मैं टेनशन से भरी जा रही हूँ l
मैंने कहा , क्या! मरी जा रही ?
देखा! तुम तो यही सुनोगे, तुम्हें क्या-----
मैंने कहा- ठीक है, मुझे क्या पर क्या बात है, जो 
तुम टेंशन से भरी जा रही हो l
बोली- यही तो पता नहीं है ,मै तुम से पूछ रही हूँl
अच्छा.........l
तभी देखा पत्नी तेजी़ से कमरे से बाहर
थोड़ी देर में फिर सुनी बर्तनों की झंकार l
लगा आज सूरज कुछ तेज़ी से चल रहा है,
किचन में जाकर देखा तो अभी तक बर्तनों में ताडंव चल रहाl
मैंने फिर प्यार से पूछा , प्रिय क्या हुआ ?
उधर से फुंकार आई, चुप रहो ,
बस यही पूछ रहे हो क्या हुआ ,
क्या तुम्हें दिखता नहीं मैं टेंशन में हूँl
मैंने कहा, अच्छा तो तुम टेंशन में हो,
हाँ, अब पता चलाl
पर क्यों ?
यही तो पता कर रही हूँ,
कहीं चैन नहीं मिल रहाl
मैंने कहा , थोड़ा आराम कर लो,
सब टेंशन दूर हो जाएगाl
गर्जना के साथ एक काया हिली और देखा ,
तो मैं धक्के के साथ नीचे गिरा थाl
बोली आराम ! अरे आराम तो हराम है आज
मैंने कहा- तो कल सोचकर आराम करलो आज l
चीख के साथ आवाज़ थी, चु़.…...प
मैं घबरा कर स्तब्ध रह गया,
कुछ देर को तो हुई शान्ति, मैंने साँस ली l
तभी नर्म आवाज़  कानों में पड़ी ,
आज क्लब में प्रतियोगिता है,
पता नहीं कौन बनेगी Autumn Queen?
मैं क्या पहनू, कैसे सजू जो बनूँ Queen.
मैंने लम्बी साँस ली और कहा ,तो इस बात की टेंशन है,
उसने प्यार से सिर हिलाया,
मैंने कहा तुम जाना ही नहीं
सब ठीक हो जाएगा l
यह क्या! बिजली चमकी ,आँखों से अंगारे बरसे और ललकार सुनी,
तुम तो यही चाहोगे कि मैं भाग न लूँl
नहीं प्रिय! तुम्हारी टेंशन को देखकर मैंने कहाl
यह दृश्य मुन्ना देख रहा था,
जो अभी तक इसे सपना समझ रहा था l
धीरे से उठा ,चुपके से दादी के पास पहुँचा ,
देखा तो दादी राम-राम जप रही थीं l
मुन्ने ने प्यार से दादी से इशारे से पूछा ,
यह क्या है?
दादी ने राम-राम जपते कहा , यह टेंशन है l
मुन्ने ने पूछा , यह टेंशन क्या है?
बेटा! ये टेंशन ही, टेंशन हैl
मुन्ना- दादी समझ में नहीं आ रहाl
दादी- बेटा मुझे भी समझ में नहीं आ रहा l
क्या होगा , मुन्ना सोच-सोच कर टेंशन में था
कि आखिर ये टेंशन क्या है?
पूरा घर का वातावरण टेंशन से भरा था
और यही से एक दिन का सवेरा हो रहा था l
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