Monday, November 10, 2014

चौराहे की प्रतिमाएँ

'चौराहे की प्रतिमाएँ ' शीर्षक को पढ़ते ही हमारा ध्यान उस स्थान पर पहुँच जाता है, जहाँ किसी न किसी महान् व्यक्ति की प्रतिमा स्थापित है l विश्व भर में अनगिनत चौराहे हैं, जहाँ किसी न किसी महान् व्यक्ति की प्रतिमा स्थापित है l प्रतिमा की स्थापना मात्र से ही उन चौराहों की महत्त्वता बढ़ जाती है,साथ ही उनका नाम भी उसी व्यक्ति विशेष के नाम पर रख दिया जाता है जैसे- नेहरू चौक, गांधी पुतला चौक आदि l इसी प्रकार जिस दिशा में उस प्रतिमा मुँह होता है, उस मार्ग को भी उसी नाम से जाना जाता है जैसे- सुभाष मार्ग, शास्त्री मार्ग आदि l

पाठक गण इस लेख को पढ़कर यह अवश्य सोचेगें कि मैंने यह शीर्षक ही क्यों चुना? पहले मैं भी उन प्रतिमाओं को साधारण दृष्टिकोण से ही देखती थी,किन्तु जब मैंने उन प्रतिमाओं की दुर्दशा की कल्पना व अनुभूति की तो लगा कि यह कोई साधारण विषय नहीं है l 'प्रतिमा' हम किसी को स्मरण करने के लिए स्थापित करते हैं l जिससे की आगे की पीढ़ी भी उस व्यक्ति को जान ले कि यह प्रतिमा जरूर किसी महान् पुरुष की है, क्योंकि हमलोग किसी साधारण व्यक्ति की प्रतिमा चौराहे पर नहीं लगाते l भगवान की प्रतिमा को भी हमलोग स्मरण करने के लिए मंदिर में स्थापित करते हैंl  परन्तु आजतक मुझे यह बात समझ में नही आई कि यह प्रतिमाएं चौराहे पर ही क्यों स्थापित की जाती हैं क्या उनके लिए कोई और स्थान उचित नहीं हैl पर हाँ अभी किसी - किसी शहर में पार्क में,झीले के बीच या फिर किसी पहाड़ पर उन्हें स्थान मिला है l

यदि हम गौर करें तो पाते हैं कि प्रतिमा की स्थापना के दिन तो उस मूर्ति को पूर्ण रूप से सुसज्जित कराया जाता है , पर बाद में तो उस पर चाहे धूल पड़े, चाहे पानी,चाहे पक्षी बीट कर जाएँ , कोई पोंछने तक नही आता l प्रत्येक आदमी जो उस मार्ग से गुजरता है, देखता जरूर है पर उसकी सफाई कोई नहीं करता क्योंकि यह काम तो उनलोगों का है जिन्होंने स्थापना कराई है, और वही देखभाल भी करेगें l देखभाल पर ध्यान आया कि वह देखभाल अवश्य करते हैं, पर तब जब उस महान् व्यक्ति की जन्मतिथि हो या फिर पुण्यतिथि l उसके बाद किसी की जिम्मेदारी नहीं है कि उनकी देखभाल करें l
 कभी आप यह कल्पना करके देखिए कि जिन व्यक्तियों ने अपना पूरा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया , वह आज भी प्रतिमा के रूप में चौराहे पर खडे़ हो देश की सड़कों का मार्ग दर्शन करा रहे हैं, चौराहे पर खडे़ traffic police का काम कर रहे हैं l यह कितना कटु सत्य है l आजकल तो उन चौराहों पर शानदार राजनीतिज्ञ पार्टियों के भाषण , कविसम्मेलन तथा हड़तालों का आयोजन होता हैl उस समय जरूर उस मूर्ति को देखकर लोग उस महान् पुरुष को याद कर लेते हैं l शायद ही कोई महान् व्यक्ति इससे वंचित हो जिसकी प्रतिमा किसी चौराहे पर न लगी हो l
 आधुनिक महान् नेता, देश सुधारक व समाजसेवी  उन प्रतिमाओं,को देखकर एक बार जरूर प्रसन्न होकर अपना सीना फुला लेते होगें कि भविष्य में किसी चौराहे को उनकी प्रतिमा सुशोभित करेगी l कुछ नेता तो इतना सब्र भी नहीं कर पा रहे हैं और उन्होने अपने जीतेजी ही अपनी प्रतिमा स्थापित करा दी है, लेकिन उनको उस दुर्दशा का अंदाज़ नहीं है, जो इन मूर्तियों की होती है l जाड़े में कड़कड़ाती सर्दी में वह ठिठुर जाती हैं, गरमी में गर्म हवा से काँप जाती हैं तथा जब बरसात में ओलों की बौछार होती है,तो अपना दिल थाम लेती हैं और ये जरूर अनुभव करती होगी कि काश प्रतिमा स्थापित करने वालों को कभी इस पीड़ा की अनुभूति नहीं हुई क्योंकि अगर हुई होती तो जरूर वह एक छतरी लगवा देते l पर शायद यह विचार उन्हें तब ही आएगा जब वह भी इसी रूप में खड़े होगें व इन कष्टों को झेलेंगेl यह मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि आज जो भी प्रतिमा स्थापित की जाती है उसके पीछे किसी न किसी महान् नेता का हाथ जरूर होता है l अगर आज वह ये मूर्ति स्थापित करा रहे हैं तो आने वाले कल में उनकी प्रतिमा भी कोई महान् नेता जरूर स्थापित कराएगा l यहाँ यह प्रश्न भी उठ सकता है कि क्या मूर्ति में भी जान होती है? इस संदर्भ में  मैं यही कह सकती हूँ कि आप उसको महसूस और  उसकी कल्पना तो करें , उत्तर मिल जाएगा l

     यदि मैं प्रतिमा को स्थापित करने वालों के स्थान पर होती तो उनके लिए एक उचित स्थान व छत्रछाया का प्रबन्ध जरूर करती l अगर ऐसा नहीं कर पाती तो प्रतिमा को स्थापित करने के बारे में कभी नहीं सोचती l
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2 comments:

  1. Kya ap musje bta saktey hai ki jhanshi ki rani statue main agr horse k leg agey ke upar ho to kya mean hota hai uska or agr all leg jamin pr ho to kya mean hota hai... plz rply..sir...

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